(नागपत्री एक रहस्य-15)
अब तो दिनकर का मन नए-नए रहस्य को जानने का हुआ, उन्होंने मास्टर जी से आग्रह किया कि और कुछ मुझे इस मंदिर के बारे में बताएं, तब मास्टरजी ने दिनकर को बताया कि एक बार इस मंदिर के दर्शन के लिए एक नवविवाहित जोड़ा आया था, दोनो ही बहुत प्यारे थे, सुधा और विकास....
मंदिर के द्वार पर ही प्रवेश से पहले इतना सुंदर और आकर्षक दृश्य देखकर सुधा और विकास दोनों ही खुश हो गए, वहां कमलनुमा आकृति से अपने आप जल के फव्वारे गिर रहे थे।
विकास ने यह जानने के लिए की जल की दिशा कमलनुमा आकृति के बाहर से भीतर की ओर है, या फिर भीतर से बाहर की ओर, क्योंकि उस फव्वारे की एक भी बूंद छिटककर बाहर नहीं आ रही थी, इसलिए यह जानकर पाना भी असंभव था कि वह तरल पदार्थ जल है , या कुछ और या सिर्फ आंखों का धोखा।
उत्साहित विकास ने उस कमलनुमा आकृति के मध्य फव्वारे की धारा के बीच अपना हाथ ले जाकर अपनी उत्सुकता शांत करनी चाही, लेकिन तभी एक तेज विस्फोट की आवाज ने उन दोनों को स्तंभित कर दिया,
विकास ने तुरंत अपना हाथ बाहर की ओर खींचा और सहम कर डरी निगाहों से सुधा की ओर देखा, सुधा आश्चर्यचकित नजर आई, विकास उसकी ओर देखकर और भी भयभीत हो गया। तभी उस मंदिर के पुजारी ने उनसे कहा, यह मंदिर है, यह मंदिर असंख्य रहस्य से जुड़ा है, किसी भी चीज को मात्र उत्सुकतावश उठा लेना, छू लेना या उठा कर घर ले जा लेना साफ मना है, शायद आपने मंदिर के प्रवेश द्वार पर लिखे हुए संकेतों को पढ़ा नहीं।
यह वर्षों पहले मंदिर की स्थापना के साथ ही लिखवा दिए गए थे, याद रखें यहां हर एक वस्तु, निशान या प्रतिक्रिया सामान्य नहीं, आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इस मंदिर में पुजारी जी के अलावा और कुछ खास ज्ञानी लोगों के अलावा कोई भी गर्भगृह को नहीं जानता, क्योंकि कोई व्यक्ति आज तक इस प्रथम प्रवेश द्वार से आगे जो और दरवाजे है, उन तक ही कोई पहुंच जाए बहुत है।
तब सुधा ने उत्सुकतावश पूछा, तब यह कैसा मंदिर?? लोग पूजा किसकी करते हैं???और भक्त यहां आते क्यों है?
तब वे पुजारी जी बोले यहां हर एक द्वार में पूजन हेतु शिवलिंग उपस्थित है, जिसकी श्रद्धा जितनी प्रगाढ़ होगी, वह उतने ही दरवाजे से आगे जा पाएगा आगे उनके पूर्वजों के कर्म फल,
और जब बात रहस्यों की होती है तो सावधानी रखना आवश्यक होता है, अभी आपने जो विस्फोट सुना वह कोई सामान्य नहीं था,
आपने जो ब्रह्म कमलनुमा आकृति के मध्य उत्सुकतावश हाथ लगाया, इस मंदिर में इसका पूजन ही पर्याप्त है, क्या आपने शिवलिंग की ऊर्जा स्रोत के बारे में नहीं सुना????क्या आप नहीं जानते शिवलिंग को लगातार जल से सिंचित क्यों कर के रखा जाता है???????
उज्जैन के बारे में तो सुना ही होगा आपने..यदि नहीं तो मैं ही बता देता हूं।
शिवलिंग वास्तव में मात्र कोई पत्थर का टुकड़ा नहीं होता और यदि हो भी लेकिन उसे प्राण प्रतिष्ठित करके स्थापित किया गया हो तो वह सामान्य नहीं रहता, इसमें इतनी ऊर्जा होती है कि सामान्य मनुष्य के लिए यूं ही सामने खड़े रह पाना संभव नहीं।
वह तो भले कर्म आपके कि आपको कुछ नहीं हुआ, इसलिए मुझे क्रोध आया, माफ करिएगा,
यह कोई सामान्य ब्रह्मकमल नहीं है, इस ब्रह्मकमल के मध्य यदि आप ध्यान से देखेंगे तो आपको एक अद्भुत शिवलिंग नजर आएगा, कहते हैं कि स्वयं ब्रह्मा जी ने इस शिवलिंग को इस ब्रह्मकमल में स्थापित किया होगा, तभी तो इस ब्रह्म कमलनुमा की पत्तियों की नोक से निकलने वाला जल लगातार रुद्राभिषेक का कार्य करता है।
अगर यह एक क्षण के लिए भी रुक जाए तो विस्फोट हो सकता है, इसका एक प्रमाण आप खुद देख चुके हो, कृपया यदि आगे मंदिर देखने की मंशा हो तो सावधानी बरतें, तब ही मैं आगे जाने की बात कह सकता हूँ।
विकास ने तुरंत क्षमा मांगकर सुधा की ओर देखा, लेकिन बीच में ही सुधा ने टोककर कहा, हाँ सुना तो था कि शिवलिंग सामान्य नहीं होता, लेकिन इतनी असीम ऊर्जा पहली बार देखी है, और क्या यह पानी कभी नहीं रुकता????
जी बिल्कुल नहीं, पुजारी जी ने तुरंत पलट कर जवाब दिया, आप खुद बताएं क्या कोई पानी का स्रोत नजर आता है आपको, फिर आप क्यों नहीं मानते???
सुधा ने शर्मिंदा होकर पुजारी जी को कहा अच्छा ठीक है, आगे अब ध्यान देंगे,कहते हुए उन दोनों ने ब्रह्म कमलनुमा आकृति के बीच झांकना चाहा।
उन्होंने देखा बाहर से सामान्य दिखने वाला ब्रह्म कमलनुमा आकृति के बीचों बीच एक ऊर्ध्वाधर शिवलिंग इतनी छोटी सी जगह में और उसके आसपास समुद्र का विशाल जल यह कैसे हो सकता है??
आश्चर्य से उन दोनों ने एक दूसरे की तरफ देखा, लेकिन दोबारा हाथ लगाने का साहस न कर पाए ।
आखिर यह कैसे संभव है कि छोटे से कमल में शिवलिंग का होना और उसके बीच में देखने से समुद्र की लहरें ,पत्तियों के नोक से फव्वारे दार पानी सब कुछ विस्मित कर देने वाला था।
ब्रह्म कमलनुमा आकृति के नीचे किसी भिन्न भाषा में कुछ लिखा था, पूछे जाने पर पुजारी जी ने बताया कि यह क्या लिखा है??
पुजारी जी ने कहा कि सिर्फ इतना बता सकते हैं कि स्पष्ट निर्देश हैं,यदि सच्ची भक्ति हो तो बिना किसी चढ़ावे के इस शिवलिंग को प्रणाम कर आगे बढ़े, तभी आपको सभी द्वार तक पहुंचने का मौका मिल सकता, नहीं तो मात्र इस ब्रह्म कमलनुमा आकृति का पूजन करके ही लौट जाने से भी आपके सारे काम पूरे हो सकते हैं।
अब तो विकास और सुधा मानो उत्सुकता से अपने आप को रोक नहीं पा रहे थे, उन्होंने पुजारी जी से कहा कि क्या आप हमें मंदिर के सभी द्वार तक ले जा सकते हो???
तब पुजारी जी ने मुस्कुरा कर कहा, नहीं...मैं नहीं जा सकता, यदि आप चाहें तो दोनों जा सकते, लेकिन मेरी बातों का ध्यान रखना, कामना करता हूं कि आपकी इच्छा पूरी हो, कहते हुए वे अपने पूजन कार्य में लीन हो गए।
विकास और सुधा अपने आप को रोक नहीं पाए, और वह मंदिर की ओर जाने वाली स्तंभों के बीच से आगे बढ़ने लगे, उन्होंने देखा कि हर स्तंभ अपने आप में एक विशेष आभामंडल लिए हुए, उनके बीच से गुजरते हुए वे दोनों अपने आपको इतना आनंदित महसूस कर रहे थे, जिसकी परिकल्पना भी उन्होंने नहीं की थी।
उनकी थकान क्षण मात्र भी की भी नहीं बची, वे अपने आप को पूर्ण स्पूर्ति वान महसूस कर रहे थे और आगे बढ़ते जा रहे थे।
उस पहले द्वार के सामने जाकर उन दोनों ने नतमस्तक हो शीश झुकाया , उस द्वार पर दो नागों के चित्र बने हुए थे और जैसे ही उन्होंने उसे प्रणाम किया...द्वार गड़गड़ाहट के साथ खुल गए, द्वार के भीतर का दृश्य देखकर सुधा ने एकदम से विकास का हाथ पकड़कर अत्यंत भय की मुद्रा में देखा और वहीं बैठ कर हाथ जोड़ लिए।
वह आंखें बंद करके अपने कुल देवी का स्मरण करने लगी और कुछ ऐसी ही दशा विकास की भी थी....
आखिर उन्होंने ऐसा क्या देखा?????
और मंदिर में क्या-क्या रहस्य छुपे हुए हैं????
क्रमशः ....
Babita patel
15-Aug-2023 02:00 PM
Nice
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